तू देखती रही मेरा रास्ता हर कदम कदम पर
तू छोड़ कर चली आई सारी दुनिया को मेरी एक छोटी सी इतिजा पर
मैं इतना भी बेगैरत नही की तेरी इस अदा को भी ना समझू
मैं तो बहका मदकसे की मदहोशी में
लेकिन तू तो गिरी है बार बार बार मुझे मदकसे से घर लाते लाते
मैं तो हूं रास्ते का एक पत्थर जो हर रोज राहगीरो को मारे ठोकर
लकिन तू तो है एक मूरत एक इबादतगाह की जो हर ठोकरजदा दिखाये सकून की राहे
मैं तो पीता गया हर दिन तेरे दम के सिए पर
पर तू देखती रही मेरा रास्ता हर कदम कदम पर
No comments:
Post a Comment