मैं तराजू मे तूल कर भी बिना भार का ही रहा
तू चाहे जिस किसी को मनो का बना दे
मैं मन से भी बोझल हूं और तन से भी बेहाल
तू चाहे किसी को भी आँचल बना दे
मेरा आँचल तो भरा हैं धूल ही धूल से
तू चाहे तो किसी की चरणों की धूल को किसी का सिंदूर बना दे
मेरी मॉँग भी तरसती हैं किसी के सिँदूर को पाने को
तू चाहे तो किसी सुहागिन को नौलाखा मँगवा दे
मैं लाखों कमा कर भी लाश बन कर ही रहा
तू चाहे तो किसी फ़क़ीर की तकदीर बना दे
ए खुदा मेरी किस्मत में तेरी इबादत के बिना कुछ और ना हो
तू चाहे तो मेरी इबादत को खुदा बनादे तू चाहे तो मेरी इबादत को खुदा बनादे
No comments:
Post a Comment