Friday, May 1, 2020

मेरी इबादत को खुदा बनादे

मैं  तराजू मे तूल कर भी बिना भार का  ही रहा
तू चाहे जिस किसी को मनो का बना दे 

मैं  मन से भी बोझल हूं और तन से भी बेहाल 
तू चाहे किसी को भी आँचल बना दे 

मेरा आँचल तो भरा हैं धूल ही धूल से 
तू चाहे तो किसी  की चरणों की धूल को किसी का सिंदूर बना दे 

मेरी मॉँग भी तरसती हैं किसी के सिँदूर को पाने को 
तू  चाहे तो किसी सुहागिन को नौलाखा मँगवा दे 

मैं लाखों कमा कर भी लाश बन कर ही रहा 
तू चाहे तो किसी फ़क़ीर की तकदीर बना दे 

ए खुदा मेरी किस्मत में तेरी इबादत  के बिना कुछ और ना हो 
तू चाहे तो मेरी इबादत को खुदा बनादे  तू चाहे तो मेरी इबादत को खुदा बनादे 



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