Monday, May 4, 2020

तू देखती रही मेरा रास्ता हर कदम कदम पर


                तू देखती  रही मेरा रास्ता हर कदम कदम  पर 

तू छोड़ कर चली आई सारी दुनिया को मेरी एक छोटी सी इतिजा पर
मैं इतना भी बेगैरत नही की तेरी इस अदा को भी ना समझू

मैं तो बहका मदकसे की मदहोशी में
लेकिन तू तो गिरी है बार बार बार मुझे मदकसे  से घर लाते लाते

मैं तो हूं रास्ते का एक पत्थर जो हर रोज  राहगीरो को मारे ठोकर
लकिन तू तो है एक मूरत एक इबादतगाह की जो हर ठोकरजदा दिखाये सकून की राहे

मैं तो पीता गया हर  दिन तेरे दम के सिए पर
पर   तू देखती  रही मेरा रास्ता हर कदम कदम  पर 

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